लोगों का काम है बुरा कहना। लोग तो बुरा कहेंगे क्यों कि, उनका काम ही है बोलना। बुरे लोग।
लोग हमे जलाते है।
हम जलते है।
लोग हमें रुलाते है।
हम रोते है।
लोग हमें नीचा दिखाते है।
हम शर्म से झुक जाते है।
लोग हमें सताते है।
हम मायुस होते है।
लोग हमारे सपनों पे पानी फेरते है।
हम सपना देखना छोड़ देते है।
लोग हमें घुसे से देखते है।
हम नरमी से लेते है।
लोगों का क्या, कुछ भी करते है।
अच्छे को बुरा कहते है।
लोगों ने कुछ भी कहा कि,
हम बुरा मान लेते है।
हमने कुछ किया ही नही।
तो हम दिल पे क्यों लेते है।
बुरे को अच्छा कहते है।
उनका काम ही है, कुछ भी बोलना।
हमे तो बस सच ही उनको दिखाना।
हमें तो बस अपना काम करना है।
लोगों के बारे में क्यों सोचना।
अपने सपनों को क्यों तोड़ना।
हम तो शान से जीते है।
कुछ कर दिखाने के लिए।
दिल मे सच्चाई और ईमानदारी है,
तो हर रास्ता आसान है।
मंजिल को पाने के लिए।
हर कोशिश करना हमारा काम है।
अपने इरादे पे कायम रहना है।
सिर्फ अपने दिल की सुनना है।
लोगों के मुँह पे चाटा जो मारना है।
अपने आप पे यकीन करना है।
खुद को पहचान कर, दुनिया को दिखाना है।
अपने उमीदों पे खरा उतर ना है।
समाज बुरे लोंगो से भरा पड़ा है।
जब अच्छा समय आएगा तो,
सब साथ में नजर आएंगे। मगर,
जब बुरा समय आएगा। तो,
कोई साथ नही दे पाएगा।
यही रीत है जमाने की।
हर एक को सताने की।
खुशियों को नजर लगाने की।
अपनों में दूरियां बनाने की।
सुनो लोगों की मगर,
अपने दिल की करो।
देखों दुनिया को मगर,
अपने आप को ना भूलो।
इस जमाने ने किसका अच्छा किया,
जो अपना अच्छा होगा।
बस अपने कर्म करते रहो।
एक दिन जरूर अपना होगा।
देखा हुआ हर एक सपना।
एक दिन जरूर सच्चा होगा।
- आनंद कदम
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